अपने अंदर की शक्ति, कौशल को पहचानने के साथ नैतिकता को भी अपनाये : प्रो. पार्थ
एमएम शिक्षण महाविद्यालय में अध्यात्म और शिक्षा पर व्याख्यान का आयोजन

मनोहर मैमोरियल शिक्षण महाविद्यालय में शनिवार को आध्यात्मिक प्रकोष्ठ एवं महिला प्रकोष्ठ द्वारा एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर प्रयागराज, उत्तरप्रदेश से प्रो. पार्थ सारथी पांडे, नेहरू ग्राम भारत मानित विश्वविद्यालय ने शिरकत की, और बहुत ही सरल शब्दों में आध्यात्म व शिक्षा के सम्बंध में बताया। कॉलेज प्राचार्य डॉ. जनक रानी व प्रो. कविता ने मुख्य वक्ता का स्वागत किया। डॉ पार्थ ने कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली ने हमें चिंतन करने को मजबूर किया है कि हम खेलकूद और पढ़ाई के साथ-साथ आध्यात्म को भी शिक्षा का अनिवार्य अंग बनाना चाहिए ताकि शारीरिक एवं मानसिक विकारों पर काबू पाया जा सके और मानसिक रूप से प्रसन्न होकर हम अपना आध्यात्मिक विकास कर सकें।

मुख्य वक्ता प्रो. पार्थ ने बहुत ही सरल शब्दों में कहा कि आध्यात्म ही शिक्षा की जड़ों को गहरा कर सकता है। अध्यात्म के द्वारा स्वयं को जानना और मूल्यों की पहचान कर ही एक विद्यार्थी स्वयं को, परिवार को व समाज को सही दिशा दिखा सकता है और अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने मूल्यों को पहचान लेते हैं तो हम अपने परिवार व समाज का भी भविष्य सुधार सकते हैं। वे भी अपना जीवन सम्मान के साथ व सक्षम होकर जी सकते हैं। यह सब तभी संभव है जब हम अपने आप को जाने, अपने अंदर की शक्ति, कौशल को पहचानने के साथ-साथ नैतिकता को भी अपनाये। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही ज्ञान प्राप्त हो सकता है। यदि हमारे देश का युवा स्वस्थ सोच वाला होगा तभी हम एक स्वस्थ समाज और स्वस्थ देश की कल्पना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्राचीन शिक्षा व्यवस्था का आधार ही आध्यात्मिकता हुआ करता था, उस समय गुरुकुल में पढऩे वाले छात्रों के आध्यात्मिक विकास पर ही विशेष जोर दिया जाता था ताकि समाज को सही दिशा मिल सके। साम्प्रदायिक सदभाव बना रहे। युवा पीढ़ी अपने सामाजिक उत्थान के बारे में सोचे और एक स्वस्थ सामाजिक परिवेश की संकल्पना की जा सके। इस व्याख्यान का सफल आयोजन आध्यात्मिक प्रकोष्ठ की इंचार्ज सुनीता तलवार और महिला प्रकोष्ठ की इंचार्ज सुमनलता ने किया।

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